भारत के किस हिस्से में स्थित है 12 ज्योतिर्लिंगों में एक काशी विश्वनाथ मंदिर – जानिए

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इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि भगवान शिव का प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर कहां है ? 

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। यह भारत के एक प्राचीन शहर में गंगा के किनारे स्थित है। कौन सा है वह शहर जहां काशी विश्वनाथ मंदिर स्थापित है, आइये जानते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर कहां है

भक्ति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम – काशी विश्वनाथ मंदिर कहां है?

काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के लिए स्वर्ग की तरह है। जहां अपने आराध्य शिव शंकर जी के दर्शन पाने के बाद भक्त अपने आप को सबसे सौभाग्यशाली अनुभव करते हैं

भगवान शिव का स्वर्ण मंदिर कहे जाने वाले काशी विश्वनाथ मंदिर की अपनी महिमा है। सिर्फ भारत से ही नहीं ब्लकि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोग यहां शंकर जी के दर्शन पाने आते हैं।

भारत के किस राज्य में स्थित है काशी विश्वनाथ मंदिर?

भोले बाबा का यह विख्यात श्री काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। उत्तर प्रदेश जहां अनेकों प्रसिद्ध मंदिर जैसे अयोध्या का राम मंदिर, वृंदावन का प्रेम मंदिर आदि स्थित हैं, आगुंतको को अध्यात्मिक शांति प्रदान करता है।

उत्तर प्रदेश में कहां स्थित है काशी विश्वनाथ मंदिर?

काशी विश्वनाथ मंदिर बनारस में स्थित है। बनारस उत्तर प्रदेश के सबसे प्राचीनतम शहरों में से एक है।

अगर आप यह नहीं जानते कि बनारस को कितने नामों से जाना जाता है तो अवश्य ही आप काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी, काशी विश्वनाथ बनारस व काशी शिव नगरी को लेकर दुविधा में होंगे।

क्या वाराणसी, काशी, और बनारस एक ही हैं?

आपने कभी न कभी यह अवश्य सुना या पढ़ा होगा – काशी के शिव या शिव की काशी। बाबा विश्वनाथ ही काशी के शिव हैं और वाराणसी ही शिव की काशी है।

काशी को ही वाराणसी और बनारस कहा जाता है। काशी ही बनारस है, बनारस ही वाराणसी है और वाराणसी ही काशी और बनारस है। ये तीनों एक ही शहर के अलग-अलग नाम हैं।

क्या आप जानते हैं काशी का असली नाम क्या है?

बनारस कहे जाने वाले वाराणसी का असली नाम काशी है। काशी भारत का एक ऐसा शहर है जहां भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं।

प्राचीनतम समय में वाराणसी काशी की राजधानी कही जाती थी। समय बीतता गया और धीरे-धीरे काशी को वाराणसी कहा जाने लगा। काशी अब सभी के लिए वाराणसी हो चुकी थी लेकिन भारत में मुगल सामराज्य ने काशी को एक और नया नाम दिया – बनारस।

वाराणसी का नाम बनारस कैसे पड़ा?

बनारस का पुराना नाम काशी अर्थात वाराणसी है। 17वीं सताब्दी में मुगल शासकों के द्वारा वाराणसी का नाम बदल कर बनारस कर दिया गया था।

हालांकि बनारस को फिर से आधिकारिक रूप से वाराणसी घोषित कर दिया गया है। और अब महादेव की यह नगरी आधिकारिक तौर पर उत्तर प्रदेश में वाराणसी के नाम से जानी जाती है।

वाराणसी में काशी विश्वनाथ महादेव कहां स्थित हैं?

बाबा काशी विश्वनाथ का सुप्रसिद्ध मंदिर वाराणसी में गंगा के किनारे स्थित है। भगवान शिव के इस प्रसिद्ध मंदिर तक जाने के लिए आपको विश्वनाथ गली जाना होगा।

वाराणसी में गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित शिव के इस अद्भुत मंदिर में भगवान शिव का गर्भगृह पूरी तरह से सोने से बनाया गया है।

क्यों प्रसिद्ध है काशी विश्वनाथ मंदिर विश्वभर में?

काशी विश्वनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है इसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण है विश्वनाथ शिवलिंग का महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होना। 

काशी के विश्वनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से हैं। यही कारण हैं कि शिव भगवान के भक्त विश्वनाथ जी के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से काशी आते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर आते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में अन्य जानकारी – जो हर श्रृद्धालु को पता होनी चाहिए

काशी विश्वनाथ मंदिर कहां है यह जानने के बाद आइये जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण बातें जो प्रत्येक श्रृद्धालु को अवश्य पता होना चाहिए।

काशी विश्वनाथ के कितने नाम है?

काशी विश्वनाथ भगवान एक नहीं बल्कि कई नामों से विख्यात हैं। प्रभु के भक्त उन्हें अलग-अलग नामों से संबोधित करते हैं।

काशी विश्वनाथ शिव को विश्वेश्वरा, बाबा विश्वनाथ, काशीनाथ, विश्वनाथ महादेव, विश्वनाथ भगवान, विश्वनाथ शिव, काशी के शिव, आदि प्रचलित नामों से भी पुकारा जाता है।

काशी में भगवान शिव के कितने शिवलिंग हैं?

काशी में कितने शिवलिंग है यह बता पाना असंभव है क्योंकि प्रत्येक अन्य शहर की तरह काशी में भी अनेकों मंदिर हैं जहा महादेव शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं।

क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर में आरती का समय?

काशी विश्वनाथ मंदिर खुलने का समय क्या है, आप कब काशी विश्वनाथ दर्शन के लिए जा सकते हैं, भगवान विश्वनाथ के दर्शन की अभिलाषा रखने वाले हर व्यक्ति को यह अवश्य पता होना चाहिए।

काशी के विश्वनाथ मंदिर में चार अलग-अलग समय पर भगवान शिव की आरती की जाती है। भक्तजन अपनी सुविधानुसार किसी भी या चारों समय की आरती में शामिल हो सकते हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर में की जाने वाली चार समय की आरती की पूर्ण जानकारी इस प्रकार है –
1. काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती से करें भगवान शिव की आराधना की शुरुआत
मंगला आरती काशी में भगवान विश्वनाथ के मंदिर में की जाने वाली सबसे पहली आरती है जिसे सुबह ब्रह्म मुहर्त में किया जाता है। मंगला आरती का समय सुबह 3 से 4 बजे है। जो भी भक्त मंगला आरती में शामिल होना चाहें उन्हें रात में 2:30 से 3:00 बजे के बीच में मंदिर पहुंच जाना चाहिए।
मंगला आरती के लिए आपके एक पहचान पत्र और टिकट की जरूरत पड़ती है। मंगला आरती के लिए टिकट Shree Kashi Vishwanath Official Website से ऑनलाइन या ऑफलाइन बुक करवा सकते हैं।
2. भोग आरती में सिरकत कर लें भगवान विश्वनाथ का आशीर्वाद

यदि आप मंगला आरती में सिरकत न कर सकें तो दोपहर में काशी विश्वनाथ की आरती में शामिल हो सकते हैं। दोपहर में जब भगवान विश्वनाथ को भोग अर्पित किया जाता है तब आरती भी की जाती है। भगवान शिव को भोग लगाने के बाद प्रसाद भक्तजनों में बांट दिया जाता है।

भोग आरती का समय सुबह 11:45 से दोपहर के 12:20 बजे तक होता है। यदि आप काशी विश्वनाथ मंदिर में भोग आरती में शामिल होना चाहते हैं तो इसके लिए आपको 11 बजे तक मंदिर पहुंच जाना चाहिए।

साथ ही आपको भोग आरती में सम्मलित होने के लिए रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा। 

3. सप्तऋषियों के साथ आप भी करें काशी विश्वनाथ मंदिर में भगवान शिव की आरती

मंगला व भोग आरती के साथ-साथ काशी विश्वनाथ मंदिर में भोलेनाथ की एक खास आरती की जाती है जिसे सप्त ऋषि आरती कहा जाता है। यह आरती हर शाम सात बजे से लेकर सवा आठ बजे तक की जाती है।

सप्त ऋषि आरती में शामिल होने के लिए प्रत्येक भक्त को 6:30 बजे तक मंदिर में प्रवेश कर लेना अनिवार्य है। अन्य समय की आरती की तरह ही सप्त ऋषि आरती के लिए भी टिकट बुक करना आवश्यक होता है।

4. दिन की आखिरी आरती “श्रृंगार/भोग आरती” में शामिल हो करें काशीनाथ के दर्शन

काशी विश्वनाथ मंदिर में रात 9 बजे दिन की आखिरी आरती की जाती है। श्रृंगार/भोग आरती में भगवान विश्वनाथ महादेव को भोग अर्पण किया जाता है। भोग अर्पण के बाद आरती की जाती है।

श्रृंगार/भोग आरती में शामिल होने के लिए भक्तजनों को 8:30 बजे तक मंदिर पहुंच जाना चाहिए।

उपरोक्त सभी आरती में शामिल होने के लिए भक्तजनों को टिकट लेना अनिवार्य है। आप चाहें तो ऑनलाइन भी सभी आरती के लिए अपनी टिकट बुक कर सकते हैं।

काशी विश्वनाथ की पूजा कैसे करें? क्या है रुद्राभिषेक की प्रक्रिया ?

भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए वाराणसी जाने वाले बहुत से भक्तों के मन में यह प्रश्न अवश्य रहता है कि क्या हम काशी विश्वनाथ में रुद्राभिषेक कर सकते हैं?
काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने के लिए किसी भी भक्तजन को ऑनलाइन या ऑफलाइन टिकट बुक करनी होती है। काशी विश्वनाथ भोलेनाथ का अभिषेक करने के लिए कई विकल्प दिये गये हैं। आप अपनी सुविधानुसार रुद्राभिषेक के लिए बुकिंग करवा सकते हैं।

अगर आप सामान्य रुद्राभिषेक के लिए बुकिंग करवाते हैं तो इसके लिए समय सुबह 4 बजे से शाम के 6 बजे तक है। इस समयावधि के बीच आप कभी भी रुद्राभिषेक के लिए जा सकते हैं।

क्या है काशी विश्वनाथ मंदिर में Dress Code?

काशी विश्वनाथ मंदिर में मुझे क्या पहनना चाहिए? – अभी तक काशी में भगवान शिव के दर्शन करने के लिए किसी तरह का कोई Dress Code नहीं है।

आप काशी विश्वनाथ मंदिर में अपनी पसंद के कपड़े पहन कर जा सकते हैं। हालांकि अगर आप भारतीय परिधान पहनकर विश्वेश्वर मंदिर में पूजा में शामिल होंगे तो यह अधिक उपयुक्त होता है।

यूं तो हम कभी भी काशी विश्वनाथ जी के दर्शन के लिए जा सकते हैं लेकिन त्यौहारों व खास मौकों के समय मंदिर में सामान्य से ज्यादा भीड़ होती है। इस समय आपको काशी जाने से बचना चाहिए।
बाकि आप अपनी सुविधानुसार यह निर्णय ले सकते हैं कि आपको विश्वनाथ मंदिर कब जाना चाहिए। 

इस ब्लॉग में हमने काशी विश्वनाथ मंदिर कहां है से लेकर आरती के समय व पूजा के तरीके के बारे में उपयुक्त जानकारी प्रदान करने की कोशिश की है। यदि आप काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में कुछ भी साझा करना चाहें, तो कमेंट बॉक्स में अवश्य करें। 

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