जानिए क्या कहता है काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास अपने भक्तों से

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इस ब्लॉग में हम जानेंगे महादेव के प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ का इतिहास जिसे मुगल सामराज्य में कई बार तोड़ा गया।

काशी को भगवान शिव का घर भी माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पीछे की क्या है कहानी आइये जानते हैं।

काशी विश्वनाथ का इतिहास

जानिए काशी विश्वनाथ का इतिहास – ज्ञानवापी मस्जिद से क्या है संबंध?

काशी विश्वनाथ मंदिर, भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। अगर बात करें कि काशी विश्वनाथ की स्थापना कब और किसने की? तो इसके लिए हमें हिंदू पुराणों को ध्यान से पढ़ना होगा।

अगर हिंदू पुराणों की मानें तो काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना लगभग 5000 वर्ष पहले भगवान शिव ने स्वयं की थी। 

हालांकि काशी विश्वनाथ की उत्पत्ति कैसे हुई? इस बारे में कई कहानियां इतिहास में प्रसिद्ध है। लेकिन अंतिम सत्य यही है कि भगवान शिव शंकर जी काशी में विश्वनाथ के रूप में स्वयं विराजमान हैं।

यदि इतिहास के पन्ने पलटें तो वाराणसी के इस प्रसिद्ध मंदिर काशी विश्वनाथ को कई बार अतिक्रमण से गुजरना पड़ा। शिव भक्तों के सीने पर पाँव रखकर कई बार बाहर से आये शासकों ने विश्वनाथ मंदिर को तोड़ने की कोशिश की।

काशी का असली नाम क्या है? क्या वाराणसी ही काशी है? बनारस का काशी और वाराणसी से क्या संबंध है? अगर आप भी इन सबमें Confused रहते हैं तो आपको हमारा यह ब्लॉग अवश्य पढ़ना चाहिए। 

किसने तोड़ा था सबसे पहले काशी विश्वनाथ मंदिर?

यह बात सन् 1194 की है जब पहली बार भगवान शिव के द्वारा बनाए गये मंदिर काशी विश्वनाथ को अतिक्रमण का सामना करना पड़ा था। घुरिद शासक ने सर्वप्रथम सबसे पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़ा था।

पृथ्वीराज चौहान, जयचन्द, आदि भारतीय राजाओं को हराने के बाद घुरिद सेनाओं ने वाराणसी की तरफ रुख किया और वहां कई सारे मंदिरों को तोड़कर मस्जिद की स्थापना कर दी थी।

अतिक्रमण के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर किसने बनवाया था?

12वीं शताब्दी में घरिद सेनाओं के द्वारा तोड़े जाने के बाद, 1230 में फिर से काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना की गई। वास्तविक मंदिर स्थल से थोड़ी दूरी पर हिंदू राजाओं के द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर बनाया गया था जिसे 15वीं शताब्दी में फिर से तोड़ दिया गया।

कई बार मंदिर तोड़े जाने के बाद भी शिव भक्तों के जोश में जरा भी कमी नहीं आयी। वो कहते हैं न कि तोड़ने से वाले बनाने वाला हमेशा बड़ा होता है। जिसे स्वयं भगवान शिव ने बनाया हो उसे आखिर कौन मिटा सकता है। काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास भी इस बात की गवाही देता है।

16वीं शताब्दी में किसने की फिर से काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना?

काशी विश्वनाथ मंदिर की कहानी में यह बात भी सामने आती है कि 15वीं शताब्दी में विध्वंस झेलने के बाद 16वीं शताब्दी में फिर से काशी में विश्वनाथ मंदिर का निर्माण किया गया। राजा तोड़र मल ने सन् 1585 में फिर से काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।

किसने बनायी थी काशी विश्वनाथ मंदिर के स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद?

काशी विश्वनाथ का रहस्य उजागर करते हुए अगर ज्ञानवापी मस्जिद का जिक्र न आये तो वो जुर्म जो मुगल सत्लतनत ने हिन्दुस्तान पर किये थे उनकी लिस्ट अधूरी ही रह जायेगी।

17वीं शताब्दी में मुगल बादशाह औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर काशी में ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया था। औरंगजेब ने वाराणसी में न सिर्फ विश्वनाथ मंदिर के स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद बनायी बल्कि अन्य कई मंदिरों को अपनी नफरत का शिकार बनाया।

काशी विश्वनाथ की कहानी जानने के बाद यह सवाल सभी हिंदुओं के मन में जरूर आता है कि आखिर भारत में औरंगजेब ने मंदिरों को क्यों तोड़ा? वाराणसी सहित भारत के अन्य क्षेत्रों में मंदिरों को तोड़ने के पीछे औरंगजेब का हिंदू धर्म से नफरत करना था।

औरंगजेब हिंदू धर्म व इसके अनुयायियों से नफरत करता था व दुनिया से हिंदुत्व को खत्म कर देना चाहता था। यही कारण था कि उसने भारत आकर यहां के हिंदू तीर्थ स्थलों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था।

वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर किसने बनवाया था?

बाहरी हुकूमत की नफरत का कई बार शिकार होने के बाद भी काशी विश्वनाथ मंदिर कई सौ सालों से गर्व से सीना चौड़ा कर के शिव भक्तों को उनके भगवान के दर्शन करवाता है।

औरंगजेब के द्वारा तोड़े जाने के बाद, 1780 में, अहिल्याबाई होल्कर ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। जहां महादेव ने सर्वप्रथम विश्वनाथ मंदिर की स्थापना की थी उस जगह से थोड़ी दूरी पर ही वर्तमान काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना अहिल्याबाई होल्कर द्वारा करवायी गई थी।

काशी विश्वनाथ मंदिर कितना पुराना है? और काशी विश्वनाथ शिवलिंग कितना पुराना है? इन दोनों प्रश्नों के उत्तर को हम इतिहास के इन्हीं पन्नों के जान सकते हैं।

मूल काशी विश्वनाथ मंदिर लगभग 5000 साल पुराना है जबकि वर्तमान शिवलिंग की बात करें तो यह लगभग 400 साल पुराना है।

क्यों हर शिव भक्त करना चाहता है काशी विश्वनाथ के दर्शन?

शिव भक्तों के बीच काशी विश्वनाथ मंदिर क्यों प्रसिद्ध है, इसका एक नहीं ब्लकि कई कारण हैं। जहां शिव, वहीं शिव भक्त। जहां शिव प्राचीन समय से विराजमान है वो स्थान प्रत्येक शिव भक्त के लिए स्वर्ग के समान है।

काशी विश्ननाथ मंदिर के प्रसिद्ध होने के पीछे एक प्रमुख कारण इसका महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होना भी है। विश्वेश्वर मंदिर के प्रसिद्ध होने का दूसरा प्रमुख कारण यह है कि काशी नगरी को स्वयं भगवान शिव ने बसाया था। भगवान विश्वेश्वर के रूप में स्वयं महादेव काशी में विराजमान है।

ऐसे में जो भक्त काशी आकर भगवान विश्वेश्वेर के दर्शन करता है वह साक्षात देवादिदेव महादेव के दर्शन पा लेता है।

काशी विश्वनाथ का इतिहास जानने के बाद आइये अब जान लेते हैं वो कथाएं जो विश्ननाथ मंदिर की उत्पत्ति से संबंधित हैं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के बारे में प्रचित धार्मिक कथाएं

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार:

  • शिव पुराण: इस पुराण में, काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं को ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट किया था और काशी में स्थापित किया था। यह ज्योतिर्लिंग अनंत प्रकाश का प्रतीक है।

  • स्कंद पुराण: इस पुराण में, काशी को भगवान शिव का प्रिय निवास स्थान बताया गया है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं को काशी में स्थापित किया था ताकि वे भक्तों की प्रार्थना सुन सकें और उन्हें मोक्ष प्रदान कर सकें।

लोक कथाओं के अनुसार:

    • देवी पार्वती का अनुरोध: एक लोक कथा के अनुसार, जब देवी पार्वती अपने पिता के घर रह रही थीं, तब उन्हें वहां बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। उन्होंने भगवान शिव से उन्हें अपने घर ले जाने का अनुरोध किया। तब भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए काशी की स्थापना की थी और उनके कहने पर विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के रूप में खुद वहां विराजमान हो गये थे।

    • त्रिपुर दानव का वध: एक अन्य लोक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने त्रिपुर दानव का वध करने के बाद काशी में अपना निवास स्थापित किया था। यह माना जाता है कि त्रिपुर दानव का वध करने के बाद भगवान शिव का क्रोध शांत हुआ था और उन्होंने काशी को अपना निवास स्थान चुना था।

काशी विश्वनाथ मंदिर के इतिहास से संबंधित हर छोटी से छोटी जानकारी हमने इस ब्लॉग के माध्यम से आप तक पहुंचाने की कोशिश की है। अगर आपको लगता है कि हमसे कुछ छूट गया है तो आप कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें अवश्य बता सकते हैं। (Read in English) 

साथ ही अगर आपके कोई सवाल या सुझाव हों तो वो भी कमेंट में लिख सकते हैं। 

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